सेहतनामा- गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद कैसी हो डाइट:तला-भुना बिल्कुल न खाएं, डॉक्टर से जानें सर्जरी के बाद किन बातों का रखें ख्याल

खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। खासतौर पर गॉल ब्लैडर पर, जिसे हिंदी में पित्ताशय भी कहते हैं। गॉल ब्लैडर हमारे सबसे कीमती ऑर्गन लिवर के नीचे बैठा हुआ एक छोटा सा हिस्सा है, जो बाइल यानी पित्त बनाता है। यह फैट को पचाने में मदद करता है। यह आकार में छोटा है, लेकिन शरीर में बड़े-बड़े काम करता है। अगर यह गॉल ब्लैडर ठीक से काम न करे, इसमें स्टोन यानी पथरी हो जाए तो इसका पूरा फंक्शन बिगड़ जाता है। पथरी होने पर जब पेट के दाहिनी तरफ असहनीय दर्द उठता है, तब डॉक्टर इसे सर्जरी करके शरीर से बाहर निकालने की सलाह देते हैं। मेडिसिन की भाषा में गॉल ब्लैडर रिमूवल सर्जरी को कोलीसिस्टेकटॉमी (Cholecystectomy) कहते हैं। ग्लोबल डेटा डॉट कॉम के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में कुल 32,90,339 गॉल ब्लैडर सर्जरी की गईं। आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि गॉल ब्लैडर में क्यों बढ़ रही हैं स्टोन की बीमारी। साथ ही जानेंगे कि- शरीर में गॉल ब्लैडर क्या काम करता है गॉल ब्लैडर जिसे पित्ताशय की थैली भी कहते हैं, यह हमारे पेट के दाहिनी तरफ होता है। इसका काम पित्त (बाइल जूस) बनाना है। यह बॉडी के फैट को पचाने में मदद करता है। बाइल जूस हमारे खाने में मौजूद फैट को फैटी एसिड में बदलता है, और विषाक्त (टॉक्सिक) पदार्थों को बाहर निकालता है। अगर गॉल ब्लैडर में स्टोन हो जाए तो इससे हमारे पाचन पर असर पड़ता है। खाना पचने में मुश्किल पैदा होती है। ग्राफिक में दिया कोई भी लक्षण अगर आपको महसूस हो तो इसकी जांच जरूर करवाएं। स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर गॉल ब्लैडर को हटाने की भी सलाह दे सकते हैं। गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? जब भी कोई सर्जरी होती है, उसके बाद शरीर में कुछ कॉम्पलिकेशन होने की आशंका बनी रहती है, जैसे कि ब्लीडिंग, दर्द, इन्फेक्शन, सूजन, वगैरह। वहीं अगर बात की जाए गॉल ब्लैडर सर्जरी की, तो इसमें वैसे तो कोई मेजर कॉम्पलिकेशन नहीं होता है पर कुछ डाइजेस्टिव साइड इफेक्ट्स जरूर देखने को मिल सकते हैं। इसे ग्राफिक के जरिए समझिए- ग्राफिक में दिए साइड इफेक्ट्स को नीचे डिटेल में जानिए- डायरिया और पेट फूलना गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद डायरिया या पेट फूलने की समस्या हो सकती है। क्योंकि जब हमारे शरीर से गॉल ब्लैडर हटा दिया जाता है तो यह बाइल नहीं स्टोर कर पाता है, तब यह छोटी आंतों में धीरे धीरे पहुंचता है और वहां जाकर भारी मात्रा में इकट्ठा हो जाता है। ओवरलोड हो जाने के कारण छोटी आंत जरूरत से ज्यादा पानी और नमक हमारी बॉडी से खींचता है, जिसके कारण डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। कब्ज गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद आमतौर पर कब्ज की समस्या हो सकती है। सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसके बाद कुछ मरीजों में कब्ज की शिकायत हो सकती है। लेकिन जरूरी नहीं कि यह सभी को हो। फैट के पाचन में कठिनाई गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन के बाद हमारा शरीर फैट को नहीं पचा पाता है। इसे पचाने के लिए उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब गॉल ब्लैडर सर्जरी की जाती है तो मरीज को बाहरी या अंदरूनी इन्फेक्शन से बचने के लिए कई मेडिसिन दी जाती हैं जैसे एंटासिड, एंटी इन्फ्लेमेशन, पेनकिलर वगैरह। इन दवाइयों से कुछ मरीजों को अपच की समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर लंबे समय तक नहीं रहती। पीलिया या बुखार होना गॉल ब्लैडर ऑपरेशन के दौरान अगर गलती से पथरी के कुछ टुकड़े बाइल डक्ट (पित्त नली) में रह जाते हैं, तो शरीर के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। इसका नतीजा होता है बुखार और पीलिया होना। हालांकि ये 10 में से 1-2 मामलों में ही देखने को मिलता है। ब्लड क्लॉटिंग होना पित्ताशय की सर्जरी के बाद कुछ मरीजों को ब्लड क्लॉट की समस्या हो जाती है। जब रक्त गाढ़ा हो जाता है तो रक्त के थक्के बनने लगते हैं । यह हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से खून हमारे शरीर के मुख्य अंगों तक नहीं पहुंच पाता। पोस्ट कोलीसिस्टेकटॉमी सिंड्रोम (Post Cholecystectomy Syndrome) पोस्ट कोलेसिस्टेक्टोमी सिंड्रोम (PCS) पेट के लक्षणों में से एक है जो कोलीसिस्टेकटॉमी के बाद होता है। PCS पेट में पित्त के रिसने या पथरी के कारण हो सकता है। जिसकी वजह से आपको पेट में दर्द, कब्ज या फिर डायरिया हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह साइड इफेक्ट ज्यादा देखा जाता है। गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद रखें ये डाइट प्लान गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद डॉक्टर मरीजों को अपना डाइट प्लान बदलने की सलाह देते हैं। ग्राफिक में देखिए कि गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन के बाद डाइट प्लान कैसा होना चाहिए- गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद दिनचर्या में कुछ बदलाव कर के आप अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं- लो फैट फूड डाइट में करें शामिल सर्जरी के बाद खाने में मौजूद फैट को पचाना कठिन होता है इसलिए तले हुए खाद्य पदार्थों के बजाय उबला हुआ, बेक्ड या लाइट फूड, भाप में पकाया हुआ या ग्रिल किया हुआ भोजन को ही अपनी डाइट में शामिल करें। रेगुलर एक्सरसाइज अपनी दिनचर्या में रेगुलर एक्सरसाइज शामिल करना बेहद जरूरी होता है। सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह से धीरे-धीरे एक्सरसाइज, योग या प्राणायाम करना शुरू करें। एक्यूपंचर गॉल ब्लैडर की सर्जरी के बाद एक्यूपंचर करने से ऐंठन और दर्द कम हो सकता है। यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि अच्छी डाइट और व्यायाम पित्ताशय से जुड़ी समस्याओं को कम करने के आसान तरीके हैं। सॉल्युबल फाइबर सॉल्युबल फाइबर फूड यानी जो पानी में आसानी से घुल जाएं और पचने में आसान रहें जैसे कि ओट्स, सेब, अलसी के बीज, दलिया ही खाएं। मिर्च मसाले और तले हुए खाने को कहें ‘No’ सर्जरी के बाद मिर्च मसाला और तला हुआ खाना बिल्कुल नहीं खाएं क्योंकि गॉल ब्लैडर निकलने के बाद इन्हें पचाना मुश्किल होता है। तला हुआ खाना आपकी सेहत के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। कैफीन से करें परहेज कैफीन जैसे चाय य

सेहतनामा- गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद कैसी हो डाइट:तला-भुना बिल्कुल न खाएं, डॉक्टर से जानें सर्जरी के बाद किन बातों का रखें ख्याल
खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। खासतौर पर गॉल ब्लैडर पर, जिसे हिंदी में पित्ताशय भी कहते हैं। गॉल ब्लैडर हमारे सबसे कीमती ऑर्गन लिवर के नीचे बैठा हुआ एक छोटा सा हिस्सा है, जो बाइल यानी पित्त बनाता है। यह फैट को पचाने में मदद करता है। यह आकार में छोटा है, लेकिन शरीर में बड़े-बड़े काम करता है। अगर यह गॉल ब्लैडर ठीक से काम न करे, इसमें स्टोन यानी पथरी हो जाए तो इसका पूरा फंक्शन बिगड़ जाता है। पथरी होने पर जब पेट के दाहिनी तरफ असहनीय दर्द उठता है, तब डॉक्टर इसे सर्जरी करके शरीर से बाहर निकालने की सलाह देते हैं। मेडिसिन की भाषा में गॉल ब्लैडर रिमूवल सर्जरी को कोलीसिस्टेकटॉमी (Cholecystectomy) कहते हैं। ग्लोबल डेटा डॉट कॉम के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में कुल 32,90,339 गॉल ब्लैडर सर्जरी की गईं। आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि गॉल ब्लैडर में क्यों बढ़ रही हैं स्टोन की बीमारी। साथ ही जानेंगे कि- शरीर में गॉल ब्लैडर क्या काम करता है गॉल ब्लैडर जिसे पित्ताशय की थैली भी कहते हैं, यह हमारे पेट के दाहिनी तरफ होता है। इसका काम पित्त (बाइल जूस) बनाना है। यह बॉडी के फैट को पचाने में मदद करता है। बाइल जूस हमारे खाने में मौजूद फैट को फैटी एसिड में बदलता है, और विषाक्त (टॉक्सिक) पदार्थों को बाहर निकालता है। अगर गॉल ब्लैडर में स्टोन हो जाए तो इससे हमारे पाचन पर असर पड़ता है। खाना पचने में मुश्किल पैदा होती है। ग्राफिक में दिया कोई भी लक्षण अगर आपको महसूस हो तो इसकी जांच जरूर करवाएं। स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर गॉल ब्लैडर को हटाने की भी सलाह दे सकते हैं। गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? जब भी कोई सर्जरी होती है, उसके बाद शरीर में कुछ कॉम्पलिकेशन होने की आशंका बनी रहती है, जैसे कि ब्लीडिंग, दर्द, इन्फेक्शन, सूजन, वगैरह। वहीं अगर बात की जाए गॉल ब्लैडर सर्जरी की, तो इसमें वैसे तो कोई मेजर कॉम्पलिकेशन नहीं होता है पर कुछ डाइजेस्टिव साइड इफेक्ट्स जरूर देखने को मिल सकते हैं। इसे ग्राफिक के जरिए समझिए- ग्राफिक में दिए साइड इफेक्ट्स को नीचे डिटेल में जानिए- डायरिया और पेट फूलना गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद डायरिया या पेट फूलने की समस्या हो सकती है। क्योंकि जब हमारे शरीर से गॉल ब्लैडर हटा दिया जाता है तो यह बाइल नहीं स्टोर कर पाता है, तब यह छोटी आंतों में धीरे धीरे पहुंचता है और वहां जाकर भारी मात्रा में इकट्ठा हो जाता है। ओवरलोड हो जाने के कारण छोटी आंत जरूरत से ज्यादा पानी और नमक हमारी बॉडी से खींचता है, जिसके कारण डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। कब्ज गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद आमतौर पर कब्ज की समस्या हो सकती है। सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिसके बाद कुछ मरीजों में कब्ज की शिकायत हो सकती है। लेकिन जरूरी नहीं कि यह सभी को हो। फैट के पाचन में कठिनाई गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन के बाद हमारा शरीर फैट को नहीं पचा पाता है। इसे पचाने के लिए उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब गॉल ब्लैडर सर्जरी की जाती है तो मरीज को बाहरी या अंदरूनी इन्फेक्शन से बचने के लिए कई मेडिसिन दी जाती हैं जैसे एंटासिड, एंटी इन्फ्लेमेशन, पेनकिलर वगैरह। इन दवाइयों से कुछ मरीजों को अपच की समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर लंबे समय तक नहीं रहती। पीलिया या बुखार होना गॉल ब्लैडर ऑपरेशन के दौरान अगर गलती से पथरी के कुछ टुकड़े बाइल डक्ट (पित्त नली) में रह जाते हैं, तो शरीर के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं। इसका नतीजा होता है बुखार और पीलिया होना। हालांकि ये 10 में से 1-2 मामलों में ही देखने को मिलता है। ब्लड क्लॉटिंग होना पित्ताशय की सर्जरी के बाद कुछ मरीजों को ब्लड क्लॉट की समस्या हो जाती है। जब रक्त गाढ़ा हो जाता है तो रक्त के थक्के बनने लगते हैं । यह हमारे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से खून हमारे शरीर के मुख्य अंगों तक नहीं पहुंच पाता। पोस्ट कोलीसिस्टेकटॉमी सिंड्रोम (Post Cholecystectomy Syndrome) पोस्ट कोलेसिस्टेक्टोमी सिंड्रोम (PCS) पेट के लक्षणों में से एक है जो कोलीसिस्टेकटॉमी के बाद होता है। PCS पेट में पित्त के रिसने या पथरी के कारण हो सकता है। जिसकी वजह से आपको पेट में दर्द, कब्ज या फिर डायरिया हो सकता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह साइड इफेक्ट ज्यादा देखा जाता है। गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद रखें ये डाइट प्लान गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद डॉक्टर मरीजों को अपना डाइट प्लान बदलने की सलाह देते हैं। ग्राफिक में देखिए कि गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन के बाद डाइट प्लान कैसा होना चाहिए- गॉल ब्लैडर सर्जरी के बाद दिनचर्या में कुछ बदलाव कर के आप अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं- लो फैट फूड डाइट में करें शामिल सर्जरी के बाद खाने में मौजूद फैट को पचाना कठिन होता है इसलिए तले हुए खाद्य पदार्थों के बजाय उबला हुआ, बेक्ड या लाइट फूड, भाप में पकाया हुआ या ग्रिल किया हुआ भोजन को ही अपनी डाइट में शामिल करें। रेगुलर एक्सरसाइज अपनी दिनचर्या में रेगुलर एक्सरसाइज शामिल करना बेहद जरूरी होता है। सर्जरी के बाद डॉक्टर की सलाह से धीरे-धीरे एक्सरसाइज, योग या प्राणायाम करना शुरू करें। एक्यूपंचर गॉल ब्लैडर की सर्जरी के बाद एक्यूपंचर करने से ऐंठन और दर्द कम हो सकता है। यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि अच्छी डाइट और व्यायाम पित्ताशय से जुड़ी समस्याओं को कम करने के आसान तरीके हैं। सॉल्युबल फाइबर सॉल्युबल फाइबर फूड यानी जो पानी में आसानी से घुल जाएं और पचने में आसान रहें जैसे कि ओट्स, सेब, अलसी के बीज, दलिया ही खाएं। मिर्च मसाले और तले हुए खाने को कहें ‘No’ सर्जरी के बाद मिर्च मसाला और तला हुआ खाना बिल्कुल नहीं खाएं क्योंकि गॉल ब्लैडर निकलने के बाद इन्हें पचाना मुश्किल होता है। तला हुआ खाना आपकी सेहत के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। कैफीन से करें परहेज कैफीन जैसे चाय या कॉफी पीना भी सेहत को नुकसान दे सकता है। साथ ही दूध या अन्य कोई डेयरी प्रोडक्ट्स भी एसिडिटी और खराब पाचन का कारण बन सकते हैं। इसलिए इनसे परहेज करें। ……………………. सेहत की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- आपके पेट में है मछली जैसा ऑर्गन पैंक्रियाज: इसकी देखभाल बेहद जरूरी, जमकर पालक, गोभी और मूली खाएं आपने कभी-न-कभी मछलियां जरूर देखी होंगी। उनकी बनावट और चंचलता मन मोह लेती है। देखकर तबीयत हरी हो जाती है। ऐसी ही एक मछली आपके पेट के पिछले हिस्से में रहती है। पूरी खबर पढ़िए...